Chanakya niti | Chanakya niti gyan hindi - Entrepreneurs learner

Note- ये सभी ज्ञान Chanakya niti चाणक्य नीति की पुस्तक से लिया गया है अतः जो भी इस पुस्तक को लेना चाहता है तो आप मुझसे संपर्क कर सकते है।

chanakya gyan hindi
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Introduction–  आज के इस पहले अध्याय में मै आपको पंडित चाणक्य जी Chanakya jiके द्वारा दिए गए कुछ सूत्रों को विस्तार से बताने जा रहा हूं और यहां चाणक्य जी Chanakya ji  ने कहा है कि हर कोई इस ज्ञान के द्वारा ' सर्वज्ञ ' हो सकता है। यहां सर्वज्ञ होने का अर्थ है अतीत, वर्तमान और भविष्य का । विश्लेषण करने की क्षमता प्राप्त करने को कहा है।


 आचार्य चाणक्य Chanakya द्वारा 6 ऐसे सूत्र जो आपकी जिंदगी में बहुत काम आ सकते है।

1. हमे मन में सोचे हुए कार्य किसी को नही बताने चाहिए, बल्कि मननपूर्वक भली प्रकार सोचते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए और चुपचाप रहते हुए  उस सोची हुई बात को कार्यरूप में बदलना चाहिए।

अर्थ– 

आचार्य जी कहते है कि व्यक्ति को कभी किसी को अपने मन का भेद नहीं देना चाहिए। जो भी कार्य करना है, उसे अपने मन रखे और समय आने पर पूरा करे। कुछ लोग किए जाने वाले कार्य के बारे में गाते रहते है। इस प्रकार उनकी बार का महत्व कम हो जाता है और यदि किसी कारणवश वह व्यक्ति उस कार्य को पूरा न कर सके तो उसकी हसी होती है। इससे व्यक्ति का विश्वास भी कम होता है फिर कुछ समय बाद ऐसा होता है कि लोग उसकी बातो पर ध्यान नहीं देते। उसे बे सिर पैर की हाकने वाला समझ लिया जाता है। अतः बुद्धिमान को कहने से अधिक करने के प्रति प्रयत्नशील होना चाहिए।

2. जो लोग एक दूसरे के भेदो को प्रकट करते है, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते है।

3. आत्मविश्वास और प्रबल इच्छाशक्ति रखने वाले व्यक्ति ही ऊँचाईयो पर पहुँच सकते है।

4. चाणक्य जी ने कहा है कि हर कोई इस ज्ञान के द्वारा ' सर्वज्ञ ' हो सकता है। यहां सर्वज्ञ होने का अर्थ है अतीत, वर्तमान और भविष्य का । विश्लेषण करने की क्षमता प्राप्त करने को कहा है।

अर्थ–

यहां सर्वज्ञ होना पंडित चाणक्य जीChanakya ji का मतलब ऐसी बुद्धि प्राप्त करना है जिससे व्यक्ति में समय के अनुरूप प्रत्येक परिस्थिति में कोई भी निर्णय लेने की क्षमता आ जाए। किसी की जानकारी होने पर भी यदि समय पर निर्णय नही लिया जाए तो जानना समझना सब व्यर्थ है और इससे ही अपने हितों की रक्षा भी तो तभी संभव है।

5. बुरे चरित्र वाले , अकारण दूसरे को हानि पहुंचाने वाले तथा गंदे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति के साथ जो पुरुष मित्रता करता है, वह जल्द ही नष्ट हो जाता है।

अर्थ-
 
सभी साधु–संतो , ऋषि–मुनियों का कहना है कि दुर्जन का संग नरक में वास करने के समान होता है, इसीलिए मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे। इसमें आचार्य चाणक्य कहते है कि मित्रता करते समय सही से जांच परख लेना चाहिए कि जिससे मित्रता की जा रही है, उसमे ये दोष तो नही है। यदि ऐसा है, तो उससे होने वाली हानि से बचना संभव नही। 

6. उद्योग अर्थात पुरुषार्थ करने वाले व्यक्ति दरिद्र नही हो सकता, प्रभु का नाम जपते रहने से मनुष्य पाप में लिप्त नहीं होता, जो व्यक्ति जागता रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता।

अर्थ-

जो व्यक्ति निरंतर परिश्रम करते रहते है, उनकी गरीबी स्वयं दूर हो जाती है। परिश्रम करके भाग्य को भी वश में किया जा सकता है। जो व्यक्ति सदैव प्रभु का स्मरण करता रहता है, अपने ह्रदय में सदैव उसे विद्यमान समझता है, वह पापकार्य में प्रवृत्त नही होता। जो व्यक्ति सावधान रहता है, सतर्क रहकर अपने कार्य करता है, उसे किसी भी प्रकार के भय की आशंका नही रहती। जिस व्यक्ति को अलाश्य, असावधानी और गफलत में रहने की आदत है, उसे हर स्थान पर हानि उठानी पड़ती है। उसका न तो आज है, न कल।


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Conclusion:-
अगर आप सभी आचार्य चाणक्य जी के और भी नए नए सूत्र जानना चाहते है तो आप मुझे कॉमेंट करे जिससे मैं इस books talks की सीरीज को आगे बढ़ा सकूं और आप अपना ज्ञान बढ़ा सके, बल्कि पढ़ने से कुछ नही होगा आप इसको अपने जीवन में प्रयोग करे इससे आपको ओर भी नए परिणाम मिलेंगे।




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2 Comments

  1. It is right, every man should make such a policy so that he does not suffer further.
    I liked Harsh's blog a lot, I want this blog to reach more people

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