Independence Day Special How we get Freedom with kakori kand | Entrepreneurs learner
Tags:- How we get Freedom by Harsh Kumar Rana, Chandrashekhar Azad, Chandrashekhar Azad Quotes, Bhagat Singh,
Introduction :- 15 Auguest 1947 को हमारा देश आज़ाद हुआ ये दिन हम सभी देशवासियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन है और होना भी चाहिए क्योंकि इसके पीछे कई लड़ाईयाँ , संघर्ष और कई वीर क्रांतिकारी शहीद हुए है। अत: हमें उनका सम्मान ,उन्हें याद और उनके जीवन से बहुत कुछ सीखना चाहिए।
इसी को ध्यान में रखकर मैं आप सभी के लिए एक ऐसी घटना साझा कर रहा हूँ जहाँ से अंग्रेजों की बगावत शुरू हुई और अंग्रजी हुकूमत कमजोर होने लगी जिससे कारण उन वीर क्रांतिकारियों ने भारत देश को आजाद कराया , कुछ ऐसे किस्से और सीख आपसे साझा करुंगा जो आपको पसंद आएगी। मेरी ओर से एक छोटी सी कोशिश उन शहीद वीर क्रांतिकारियों के लिए
9 August 1925 काकोरी घटना
- ये घटना एक Train से जुड़ी है जो 9 August 1925 की उत्तर प्रदेश की काकोरी से जाने वाली एक Train में डकैती डाली थीं। इस घटना का मकसद था कि इस लूट से इकट्ठा होने वाले पैसों से हथियार खरीदे जाए और भारत पर कब्जा करने वाले अंग्रेजो के खिलाफ उनका इस्तेमाल किया जाएँ क्योंकि अब समय आ चुका था अंग्रेजो को ईंट का जवाब पत्थर से देने का पर अंग्रेजो ने इसे डैकेती का नाम दिया। तो क्या हमें ये मानना चाहिए कि हमारे क्रांतिकारी डकैत थे ? नही , जो खजाना हमारे देश , हमारे वतन का था इसको हम कैसे लूट कह सकते है पर फिर भी अंग्रजों ने इसमें शामिल राष्ट्रनायकों को अपराधी करार दिया।
- इस Train को काकोरी में Hindustan Sociallist Republic Association के क्रांतिकारियों ने लूटा था। इस घटना को अंजाम देने वालों में : -
1. राम प्रसाद बिस्मिल
2. चन्द्र शेखर आजाद
3. अश्फाक उल्लाह खान
4. राजेंद्र लाहिड़ी
5. चंद्र शेखर आजाद आदि 10 क्रांतिकारी शामिल थे।
- इस लूट के दौरान Britisian खजाने से करीब 8000 हजार रु. निकाले गए।
- इस घटना के दौरान जब क्रांतिकारी Train में घुसे तो उन्होंने सबको अपना माना और कहा कि हम आप सभी को कोई नुकसान नही पहुंचाएंगे पर उनमें से एक यात्री ट्रेन से बाहर निकला फिर दुर्भाग्यवश एक यात्री को गोली लग गई इसी कारण गुस्साए अंग्रजों ने तलाशी अभियान के जरिए Hindustan Republic Association के 40 क्रांतिकारियों पर डकैती और हत्या का मामला दर्ज किया और कुछ की फाँसी की सजा सुनाई गई , कुछ को उम्रकैद।
- जब राष्ट्रनायकों को दोषी मानते हुए राम प्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्लाह खान , ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फाँसी की सजा सुनाई गई तो इस बार देश के लिए इन वीर क्रांतिकारियों का बलिदान खाली नही गया इस बार का असर बहत भयावह था , ब्रिटिश हुकुमत कमजोर होते दिखने लगी , लोगों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए , काकोरी के नायकों की शहादत से अंग्रजों के खिलाफ आग भड़क उठी। देश के सभी क्रांतिकारियों ने अंग्रजों को भगाने के लिए रणनीति बनाई। जिस कारण अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना पड़ा।
- इसी कारण आज हम इन्ही देश के वीर क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण ही हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। उन सभी वीरों को मेरा नमन है जिन्होंने भारत देश को आजाद कराने में अपना बलिदान दे दिया।
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सिखे उन क्रांतिवीरों से जिन्होने युवावस्था में ही क्रांति की शुरुवात कर दी : -
1. चन्द्रशेखर आजाद
- चन्द्रशेखर तिवारी जिन्होंने बाद में अपना नाम चन्द्रशेखर आजाद रख लिया आज़ाद चंद्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 23 जुलाई 1906 को हुआ।
- चन्द्रशेखर बचपन से ही बड़े बुद्धिमान , तिरंदाजी में निपुण और नकाब बदलने में माहिर थे।
- आजाद काकोरी काण्ड की लूट में भी शामिल थे उन्होंने ही Train से खजाने को निकाला था।
- एक बार जब इलाहबाद के एक पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और उन पर गोलियाँ चलने लगी तो लड़ते लड़ते आजाद के पास गोलियां खत्म होते देख अंत में उन्होंने निर्णय लिया कि वे कभी जीवित अंग्रेजो के हाथ नही आएंगे फिर अंत में आजाद ने देश के खातिर अपने आप को गोली मार ली और शहीद हो चले पर आजाद कभी अंग्रजों के हाथ नही लगे , अंग्रेज उन्हे कभी पकड़ने में कभी कामयाब ही नही हुए उन्होंने खुद को वचन दिया था कि वे कभी अंग्रेजों के हाथ नही आएंगे जिसे उन्होंने मरते दम तक निभाया।
- आपसे एक बार की घटना साझा कर रहा हूँ जब जज ने सभी क्रांतिकारियों से पूछा कि - आजाद कहाँ है? पर आजाद नकाब बदलने में ऐसे माहिर थे कि वे भरी अदालत में सारी बात सुन रहे थे तो इसी को देख राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी जज को एक करारा जवाब दिया वो भी एक कविता के रूप में :-
जवाब देते हुए कहा कि -
इन हिजड़ों की फोज में कोई मर्द ना पाया जाएगा , इन नपुंसकों की सेना में कोई मर्द ना पाया जाएगा , वो तूफान मे चलने वाला चिराग है तेरी लूंगी की फूंको से नही बुझाया जाएगा , तुम क्या पकड़ोगे इस समुंदर को , तुम क्या पकड़ोगे इस आसमान को , तुम क्या पकड़ोगे हवा को और कही पकड़ भी लिया तो तुम क्या पकड़ोगे आजाद को आजाद आजादी है।
आजाद की अनमोल सीख जो हमें सिखनी चाहिए -
- एक नारे के रूप में - " देश पर जिसका खून ना खोले, खून नही वो पानी है, जो देश के काम न आए , वो बेकार जवानी है।" इस नारे से हमें सिखना चाहिए कि मरते दम तक हमें देश की सेवा और बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए।
- यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नही करता है , तो उसका जीवन व्यर्थ है।
- हमे यह नही देखना चाहिए कि दूसरे आपसे बेहतर कर रहे है और ना ही दूसरो से अपने आप को compare करना चाहिए बल्कि हमें हर दिन अपने ही रिकॉर्ड को तोडना चाहिए , खुद को बेहतर बनाने और तराशते रहना चाहिए क्योंकि सफलता की लड़ाई आपकी खुद से है।
- इन सभी क्रांतिकारियों में एक खास सीख ये थी कि ज्ञान ही सबसे ताकतवर चीज़ है उसे बढ़ाने के साथ साथ काम मे भी लाना चाहिए नही तो वो ज्ञान बेकार हो जाता है।
2. राम प्रसाद बिस्मिल
- राम प्रसाद बिस्मिल उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पैदा हुए थे।
- राम प्रसाद बिस्मिल अपनी युवावास्था में क्रांतिकारी , उर्दू के शायर और हिन्दी के बड़े लेखक थे। इन्होंने अपने 30 साल की उम्र तक 11 किताबें लिख डाली थी।
- ये एक ऐतिहासिक काकोरी घटना में बिस्मिल की गिरफ्तारी हुई थी फिर उन्हे गोरखपुर की जेल में फांसी पर चढ़ा दिया गया और देश के लिए शहीद हो गए।
- जब बिस्मिल जेल में थे इन्होंने एक बार अपनी मां को एक पत्र लिखा जो की लिखा गया था उनके खून से क्योंकि अंग्रेजो ने उन्हें लिखने के लिए कलम नही दी थी।
- बिस्मिल द्वारा लिखा गया पत्र: -
ऐ मां मेरे जज्बे को आंखों में छुपा लेना, बदनाम ना हो आशू आंखों में छुपा लेना , बदनाम ना हो जस्बा आंचल में छुपा लेना, आजादी के इस जश्न पर तेरा हो परवाना , चढ़ जाए हस्ते हस्ते बस इतनी दुआ लेना , आए जब तेरे कूचे में राख मेरी उड़कर एक नन्हे से बच्चे के तू माथे पर लगा लेना , एक नया बिस्मिल तू फिर से बना देना , एक नया आजाद तू फिर से बना देना, ऐ मां तेरा कर्ज नही चूका सकता मैं इस जन्म में लेकिन इस मिट्टी का बहुत बडा कर्ज है जो चुकाने की कोशिश करूंगा।
भगत सिंह
- भारत के सबसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद - ए - आजम भगत सिंह भारत देश के महान क्रांतिकारी , मात्र अपनी युवाअवस्था में ही 23 साल की उम्र में अपने देश के लिए शहीद हो गए।
- भारत की आजादी की लड़ाई के समय शहीद - ए - आजम भगत सिंह सभी नौजवानों के लिए यूथ आइकॉन थे , जो उन्हे देश के लिए आने के लिए प्रोत्साहित करते थें।
- भगत सिंह बचपन से ही अपने आस पास अंग्रजों को भारतीयों पर अत्याचार करते देखा था। उन्होंने अपनी कम उम्र में ही कुछ कर गुजरने की बात मन में ठान रखी थी उनका मानना थे कि देश के नौजवान ही देश की काया ( .बदल ) पलट सकते है पर इनका जीवन बहुत ही संघर्ष भरा था। अतः हमें सभी नौजवानों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
- भगत सिंह ने शुरू से ही ज्ञान को बहुत महत्व दिया है। वो बचपन से ही बहुत बुद्धिमान और अच्छे लेखक थे। उनकी एक पुस्तक भी है जो उन्होंने लिखी थी - why I am Atheist ?
- जब Dec 1929 को भगत सिंह ने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार को असेंबली हॉल में बम ब्लास्ट किया तो उन्होंने सोच लिया था कि हम भागेंगे नही अपने आपको पुलिस के हवाले करेंगे जिससे देशवासियों को सही सन्देश पहुंचे।
- भगत सिंह ने जेल में रहकर भी बहुत यातनाएं सहन की , उस समय भारतीय कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार नही किया जाता था , उन्हे अच्छा खाना नही मिलता था , पर भगत सिंह ने अपनी मांगे पूरी करवाने के लिए कई दिनों तक ना पानी पिया , ना ही अन्न का एक दाना खाया। उन्हे अंग्रेजी पुलिस बहुत मारा पीटा करती थी जिससे भगत सिंह हार मान ले लेकिन उन्होंने अंत तक हार नही मानी। अंत में ब्रिटिश सरकार ने 23 मार्च 1931 को मध्य रात्री को भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरू को फांसी दे दी गई।
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एक दिन की देशभक्ति
- देशभक्ति क्या है? क्या बस देशभक्ति सेना तक ही सीमित हैं? नही, देशभक्ति वह है जो व्यक्ति अपने देश या वतन को किसी न किसी रूप में , कार्य में बेहतर बनाता है वो है असली देशभक्ति। चाहे आप इसमें एक किसान हो , विद्यार्थी हो , अध्यापक हो , डॉक्टर , इंजीनियर , सरकारी कर्मचारी आदि हम सब का कर्तव्य है कि अपने देश के भले के लिए कार्य करना , जितना हो सके देश को बेहतर बनाना।
- आज हम सबको पता है और दिख भी रहा है कि कौन - कौन देशभक्त है? ये बताने की किसी को जरूरत नही है आप सभी एक बार अपने आप से पूछे कि मैं जो भी कार्य करता हूँ क्या वो देश को बेहतर बनाने के लिए कर रहा हूँ या नही ? अपने आप हो पता चल जाएगा कि आप देशभक्त है या नही ? पर मैं उन सभी का दिल की गहराईयों से सम्मान करता हूँ जो सच्ची देशभक्ति की राह पर चलते है जो सबसे पहले अपने देश को पहले स्थान पर रखते और हर वो संभव कार्य करते है जिससे अपने देश को और बेहतर बना सके उनके इस जस्बे को मेरा सलाम है।
- जैसे - एक फौजी अपना घर परिवार को छोड़कर अपने देश , अपने वतन को पहला स्थान देता है और बिना जान की परवाह किए अपने देश की सेवा करता है। फौजी तो अपना कर्तव्य निभा रहा है पर क्या आप अपना कर्तव्य निभा रहे है?
- आज हम सबको ऐसे व्यक्तियों से बचना चाहिए जो 2 दिन के देशभक्त होते है जो सिर्फ दिखाने के लिए काम करते है और फिर उसी रास्ते पर आ जाते हैं जैसे पहले थे। ये ही देश को अन्दर से कमजोर करते है।
conclusion-
प्रिय पाठकों अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि हम सभी इन क्रांतिवीरों के बलिदान का कर्ज तो नही चुका सकते पर हम इनकी तरह बनने की कोशिश जरूर कर सकते है। हम सबको अपने देश और तिरंगे का सम्मान और देश बेहतर बनाना चाहिए क्योंकि इन्हीं वीरों ने अपने लहु ( खून ) से इस देश और तिरंगे को साँचा है अगर हम ऐसे ही 2 दिन के देशभक्त रहेंगे व अपने देश और तिरंगे का अपमान करेंगे तो आप उन वीर शहीदों के बलिदान का अपमान कर रहे है मैं जानता हूं आपके अंदर कही ना कही अपने देश के लिए प्यार तो है उस प्यार को बनाएं रखें कृपया मिली आजादी का सम्मान करे और उसकी रक्षा करे।
जय हिन्द वन्दे मातरम् इंकलाब ज़िंदाबाद भारत माता की जय
अगर आपको ये Article अच्छा लगा तो कृपया ज्यादा - ज्यादा लोगों तक share करे जिससे उन्हें भी फायदा हो। और पोस्ट पढ़ने के लिए आपको मेरा दिल की गहराईयों से तह दिल से धन्यवाद।
2 Comments
Jai hind vande matram inqlaab jindabad Bharat mata ki jai
ReplyDeletePlease sabhi apne views share kare
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