Chanakya niti | Chanakya niti gyan hindi Part 2- Entrepreneurs learner

Note- ये सभी ज्ञान चाणक्य नीति ( Chanakya niti )की पुस्तक से लिया गया है अतः जो भी इस पुस्तक को लेना चाहता है तो आप मुझसे संपर्क कर सकते है।

Chanakya niti gyan hindi |  चाणक्य ज्ञान हिंदी Part 2
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Introduction– आज के इस दूसरे अध्याय में मै आपको Chanakya ji पंडित चाणक्य जी के द्वारा दिए गए कुछ सूत्रों को विस्तार से बताने जा रहा हूं और यहां चाणक्य जी ने कहा है कि हर कोई इस ज्ञान के द्वारा ' सर्वज्ञ ' हो सकता है। यहां सर्वज्ञ होने का अर्थ है अतीत, वर्तमान और भविष्य का। विश्लेषण करने की क्षमता प्राप्त करने को कहा है।

आचार्य चाणक्य द्वारा 6 ऐसे सूत्र जो आपकी जिंदगी में बहुत काम आ सकते है। | Chanakya sutra      

1. अत्यंत रूपवती होने के कारण ही सीता का अपहरण हुआ, अधिक अभिमान होने कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान देने के कारण राजा बलि को कष्ट उठाना पड़ा, इसीलिए किसी भी कार्य में अति नहीं करनी चाहिए। अति का सर्वत्र त्याग कर देना चाहिए।

अर्थ- चाणक्य ने यहां इतिहास के प्रसिद्ध उदाहरण देकर यह समझाने का प्रयत्न किया है कि  प्रत्येक कार्य की एक सीमा होती है। जब उसका अतिक्रमण हो जाता है तो व्यक्ति को कष्ट उठाना पड़ता है। सीता अत्यंत रूपवती थी, इसी कारण उनका अपहरण हुआ। इसी प्रकार रावण यद्यपि अत्यंत बलवान और समृद्ध राजा था, परंतु अभिमान की सभी सीमाएं लांघ गया, अंत में उसे अपने स्वजनों के साथ मौत के घाट उतरना पड़ा। राजा बलि के संबध में सभी जानते हैं कि वह अत्यंत दानी था। उसके दान के कारण जब उसका यश सारे संसार में फैलने लगा तो देवता लोग भी चिन्तित हो उठे। तब भगवान विष्णु ने वामन का, अवतार लेकर उससे तीन पग धरती दान में मांगी। बलि के गुरु शुक्राचार्य ने उसे सावधान भी किया, परंतु बलि ने उनकी बात न मानकर वामन बने विष्णु की बात मान ली और भगवान ने तीन पगों में धरती, स्वर्ग और पाताल - तीनो लोको को नापकर बलि को भिखारी बन दिया।

शिक्षा - इन सभी उदाहरणों का भाव यही है कि " अच्छाई भी एक सीमा से आगे बढ़ जाती है, तो वह बुराई अर्थात् हानिकारक बन जाती है। लोग उसका लाभ उठाते है। इसीलिए कहा गया है कि अति न करो। "

2. पांच वर्ष की आयु तक पुत्र से प्यार करना चाहिए, इसके बाद 10 वर्ष तक उसकी ताड़ना की जा सकती है और उसे दंड दिया जा सकता है, परंतु 16 वर्ष की आयु में पहुंचने पर उससे मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।
अर्थ-     विकासात्मक मनोविज्ञान का सूत्र है। 5 वर्ष की आयु तक के बच्चे के साथ लाड़ - दुलार करना चाहिए, क्योंकि इस समय वह सहस विकास से गुजर रहा होता है। अधिक लाड़ - प्यार करने से बच्चा बिगड़ न जाए, इसीलिए 10 वर्ष की आयु तक उसे दंड देने की बात कही गई है, उसे डराया - धमकाया जा सकता है , परंतु 16 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार नही किया जा सकता उस समय उसको साथ मित्र जैसा व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि तब उसका व्यक्तित्व और सामाजिक 'अंह ' विकसित हो रहा होता है, मित्रता का अर्थ है, उसे यह महसूस कराना कि उसकी परिवार में महत्वपूर्ण भूमिका है मित्र पर जैसे आप अपने विचारो को लादते नही है, वैसा ही आप यहां अपनी संतान के साथ भी करे। यहां भी समझाने - बुझाने में तर्क और व्यवहारिकता हो, न कि अंह को भावना।

3. जिस प्रकार सोने की परीक्षा चार प्रकार से की जाती है- उसे कसौटी पर घिसा जाता है, काटकर देखा जाता हे, तपाया जाता है और कूटकर उसकी जांच की जाती है, उसी प्रकार मनुष्य कितना श्रेष्ठ है इसकी पहचान भी इन चार बातो से होती है।
अर्थ- चाणक्य के अनुसार, इन चारो प्रकारों से की गई परीक्षा में स्वयं को सही सिद्ध करने वाला व्यक्ति ही ' खरा ' है। उसकी सज्जनता, उसका चरित्र, उसके गुण और उसका आचार - व्यवहार उसके खरेपन की पुष्टि करते है।

4. संकट प्रत्येक मनुष्य पर आते है, परंतु बुद्धिमान व्यक्तियो को संकटों और आपत्तियों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे सिर पर न आ जाए। संकट और दुख आने पर व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति से उन्हे दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।

5.  मोह से बड़ा कोई शत्रु नहीं। क्रोध जैसी कोई आग नही और ज्ञान से बढ़कर इस संसार में सुख देने वाली कोई वस्तु नहीं।
अर्थ- व्यक्ति का क्रोध उसके लिए आग का काम करता है उसका अपना क्रोध उसे जला डालता है। ज्ञान से बढ़कर संसार में सुख देने वाली कोई भी वस्तु नहीं है, जो व्यक्ति बुद्धि और विवेक से कार्य करता है, वह सदा सुखी रहता है। मोह को सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है यह बुद्धि को नष्ट कर देता है।

6. आलस्य के कारण विद्या नष्ट हो जाती है।
अर्थ-  इसका भाव यह है कि विद्या की प्राप्ति और उसकी वृद्धि के लिए व्यक्ति को आलस्य का त्याग कर देना चाहिए आलसी किसी गुण को प्राप्त नही कर सकता।



Conclusion- अगर आप सभी आचार्य चाणक्य जी द्वारा और भी नए नए सूत्र जानना चाहते है तो आप मुझे कॉमेंट करे जिससे मैं इस books talks की सीरीज को आगे बढ़ा सकूं और आप अपना ज्ञान बढ़ा सके, बल्कि पढ़ने से कुछ नही होगा आप इसको अपने जीवन में प्रयोग करे इससे आपको ओर भी नए परिणाम मिलेंगे।


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